(पटनासिटी/प्रतिनिधि): जी हाँ कुछ ऐसा ही नजारा सोमवार साढ़े सात बजे रात्रि को मेहदीगंज थाने के समीप रानीपुर – गुलजारबाग रोड पर देखने को मिला.. मामले पर प्रकाश डालते हुए हमारे प्रतिनिधि ने बतलाया की अंग्रेजी में civil judge लिखी हुई स्विफ्ट डिजायर कार के पिछले बैक लाइट पर एक ठेले वाले ने गलती से ठोकर मार दी, बस फिर क्या था गाड़ी में से 4- 5 की संख्या में रहे ब्लैक पैंट वाइट कमीज पहने लोग उतरे और ठेले वाले से 2000 रुपये हर्जाने की मांग करने लगे, ठेला वाला इतने पैसे न होने की बात कह उनके पैरों में गिर गया फिर भी उनलोगों ने मांग जारी रखा आखिर में ठेले वाले ने 300 रुपये देकर उनलोगों से पीछा छुड़वाया..
ठेले वाले से बात करने पर पता लगा की जाम होने और एकाएक कार की ब्रेक लगने से लोड ठेला रुक नही पाया और बैकलाइट में जा लगा..
यहाँ अब सवाल उठता है की अगर वो गाड़ी civil judge की थी तो उसमें वो 4 लोग कौन थे जो ब्लैक पैंट और सफेद कमीज पहने थे?
दूसरा सवाल अगर वो गाड़ी civil judge की थी तो क्या उन्हें पैसे की दिक्कत थी जो एक ठेले वाले से उसकी एक दिन की रोजी छीन ली गई।
या सिर्फ प्रशासनिक हनक दिखाने के लिये गाड़ी में civil judge का बोर्ड लगा रखा था?
अब आपको बताते चले की जिले में कई सिविल जज की पोस्टिंग की जाती है इन्हें सरकारी गाड़ी नही मिलती चूंकि ये सबसे बेसिक पोस्ट होती है, हाँ अमूमन ये जिला सत्र न्यायाधीश या उप न्यायाधीश की गाड़ी अगर उपलब्ध हो तो इस्तेमाल करते है। हालांकि इन्हें सरकारी आवास की सुविधा दी जाती है, उसके साथ ही ड्राइवर खर्च 8500/- मासिक, 200 लीटर पेट्रोल जो लगभग 15000/- मासिक होते है, मुफ्त मोबाइल, एवं मुफ्त सपरिवार रेलयात्रा, उसके अलावा परमानेंट सर्वेंट के लिए 8500/- मासिक दिए जाते है, कुल मिला कर कैश 60000/- वेतन + सुविधाएं, दोनों मिलकर 1,15000/- मासिक होते है।
सोचनीय तथ्य ये है की हमारे देश मे गरीब से गरीब लोग भी न्यायालय पर पूरा भरोसा रखते है।