कर्पूरी जयंती पर बोले सीएम नीतीश- अपने कमिटमेंट से मैंने कोई समझौता नहीं किया

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को कहा कि उनपर पलट जाने का आरोप लगाया जाना पूरी तरह से गलत है। उन्होंने कहा कि मैंने अपने कमिटमेंट से कोई समझौता नहीं किया। महागठबंधन से नाता तोड़ राजग में फिर से शामिल होने को लेकर विपक्ष द्वारा लगाए जा रहे आरोप पर वह स्थिति स्पष्ट कर रहे थे।

उन्होंने लालू प्रसाद का नाम लिए बिना उनपर जमकर निशाना साधा। श्रीकृष्ण मेमोरियल हाल में जदयू द्वारा आयोजित कर्पूरी जयंती समारोह में उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्द ही केंद्र सरकार भी अतिपिछड़ों के लिए अलग से आरक्षण की व्यवस्था लागू करेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मैंने सात निश्चय, महिलाओं को 35 प्रतिशत आरक्षण, युवाओं को स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड, फ्री वाई-फाई, हर जिले में इंजीनियरिंग कालेज, पालिटेक्निक संस्था एवं महिला आइटीआइ आदि की बात कही थी। ये सारे काम हो रहे हैं। कोई कैसे कह सकता है कि मैं पलट गया हूं?

लालू प्रसाद का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष शराबबंदी के पक्ष में बनी मानव श्रृंखला में हाथ से हाथ मिलाकर खड़े हुए और फिर बाद में कहने लगे कि यह फालतू काम है। इस बार तो मानव श्रृंखला में शामिल होने वालों को न सिर्फ भड़काया गया, बल्कि हड़काया भी गया। कुछ लोगों के लिए सत्ता धन अर्जित करने का माध्यम है। महागठबंधन सरकार में यही हो रहा था। लेकिन मैं एक बिंदु से आगे समझौता नहीं करता। सत्ता मिली तो पैसा कमाने लगें, यह मुझे मंजूर नहीं।




लालू प्रसाद के मुख्यमंत्रित्वकाल की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि 1992 में प्रदेश में कर्पूरी फार्मूले के तहत अतिपिछड़ों को मिल रहे आरक्षण को समाप्त करने की बात उठी थी। मैंने कर्पूरी जयंती पर 24 जनवरी, 1993 को साफ तौर पर कहा था कि अगर कर्पूरी फार्मूले में कोई छेड़छाड़ हुई तो सड़क पर उतर आंदोलन करेंगे। तब मेरे स्वजातियों को मेरे खिलाफ यह कह भड़काने की कोशिश की गई कि मैं अतिपिछड़ों को आरक्षण के पक्ष में हूं। लेकिन मैंने अपने सिद्धांत से उस समय भी समझौता नहीं किया।

मुझे पूरा विश्वास है कि केंद्र की वर्तमान सरकार भी शीघ्र ही अतिपिछड़ों के लिए अलग से आरक्षण की व्यवस्था लागू करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज बहुत लोग कर्पूरी जयंती मनाने लगे हैं लेकिन हम लोग उनके गुजर जाने के ठीक बाद से उनकी जयंती मनाते आ रहे हैं।

नीतीश कुमार ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव का नाम लिए बिना उनपर भी निशाना साधा। कहा कि जिन्हें राजनीति का क, ख नहीं आता वह भी सोशल मीडिया पर तरह-तरह की प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं। सोशल मीडिया पर अधिकांश समय अन-सोशल बातें होती हैं। मैंने पिछले माह राजगीर प्रवास के दौरान अपने सहयोगी को दस ट्वीट लिखवाए, लेकिन उनमें से पांच को ही ट्विटर पर डाला। मुझे लगा कि यह फिजूल चीज है।

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