राष्ट्रपति पुरस्कार मिलने से जितवारपुर में जुड़ा स्वर्णिम अध्याय

मधुबनी : जितवारपुर गांव. शहर मुख्यालय से करीब तीन किलोमीटर की दूरी पर बसा बस्ती. यह गांव आज अपनी पहचान देश क्या, विश्व स्तर पर बना चुका है. शायद इस गांव के मिट्टी में ही वह खासियत है कि इस गांव में आकर जो भी पूरी तन्मयता से अपने कामों का निर्वहन करते हैं उन्हें इनाम के रूप में राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त हो जाता है.
वैसे तो इस गांव की पहचान आज से पहले मिथिला पेंटिंग के लिए प्रसिद्ध था. पर, अब तो शिक्षा के क्षेत्र में भी इस गांव ने देश स्तर पर अपनी पहचान स्थापित कर दिया है. इस गांव के मध्य विद्यालय के शिक्षक हेमंत कुमार का नाम राष्ट्रपति पुरस्कार के लिये घोषित किया गया है. इस पुरस्कार से हेमंत का परिवार को भले ही जो खुशी मिली हो, पर इससे सबसे अधिक खुश तो जितवारपुर गांव के लोग हैं. खुद राष्ट्रपति पुरस्कार से पुरस्कृत लोग भी हेमंत को बधाई दे रहे हैं.

कई को मिल चुका है राष्ट्रपति पुरस्कार .जितवारपुर गांव के कई लोगों को राष्ट्रपति पुरस्कार मिल चुका है. पर इससे पहले मिलने वाला राष्ट्रपति पुरस्कार कला को लेकर ही था. इसमें मिथिला पेंटिंग के लिये बौआ देवी, 1975 में जगदंबा देवी, सीता देवी, गंगा देवी, महासुंदरी देवी, यमुना देवी, चंद्रकला देवी सहित कई अन्य हैं जिन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार मिल चुका है. इस कड़ी में एक नया अध्याय बुधवार को जुड़ गया. जब शिक्षा के क्षेत्र में इसी गांव में पदस्थापित शिक्षक हेमंत कुमार को राष्ट्रपति पुरस्कार के लिये नाम की घोषणा की गयी. वहीं एक दर्जन से ज्यादा कलाकारों को राज्य पुरस्कार मिल चुका है.
लोगों में खुशी .गांव की पद्मश्री बौआ देवी ने कहा है कि हेमंत को मिलने वाले पुरस्कार ने यह साबित कर दिया है कि इस गांव की मिट्टी विद्वानों की धरती है. यहां पर केवल अपना कर्म यदि इमानदारी से किया जाये तो उसे निश्यच ही बेहतरीन इनाम मिलता है. इसी प्रकार गंगा देवी, सहिज दर्जनों कलाकारों ने श्री कुमार को शुभकामना दिया है. राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त श्रीमति गंगा देवी ने कहा कि हेमंत जी कर्मठ ईमानदार शिक्षक तो है ही वे सामाजिक व्यक्ति भी है. उन्होंने कहा कि जितवारपुर की मिट्ठी में इतना ताकत है कि यहां के दो दर्जन कलाकारों को जहां राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है. राज्य पुरस्कार प्राप्त चानो देवी का कहना था कि हेमंत जी पिछले 15 साल से जितवारपुर में कार्यरत है. लगातार इसी गांव में सेवा देने के कारण यहां के लोगों से इनका लगाव ज्यादा है.
लोगों के प्रेम ने दिलाया सम्मान . पुरस्कार की घोषणा होने पर शिक्षक हेमंत कुमार ने कहा है कि वास्तव में जितवारपुर गांव के विद्यालय में काम करना एक सुखद एहसास है. इस गांव के हर समुदाय व हर वर्ग के लोगों ने उनका सम्मान किया. यही कारण है कि ये पूरे ईमानदारी से अपने कामों का निर्वहन कर सके. आज सम्मान पर भले ही इनका नाम लिखा है. पर यह सम्मान तो पूरे जितवारपुर गांव व विद्यालय परिवार का है.

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