बिहार की राजनीति में जाति समीकरण हमेशा से सत्ता का रास्ता तय करते रहे हैं। इनमें भी ‘अति पिछड़ा वर्ग’ (Extremely Backward Castes, EBC) वह धुरी है, जिसने हर दौर में सत्ता की दिशा मोड़ी है। करीब 36 प्रतिशत आबादी वाला यह वर्ग न तो यादवों की तरह परंपरागत ताकत रखता है, न ही दलितों की तरह किसी एक पार्टी के स्थायी वोटर रहे हैं। यही वजह है कि इन्हें बिहार का ‘स्विंग वोटर’ कहा जाता है जो कभी नीतीश कुमार का तुरुप का पत्ता, कभी महागठबंधन की ढाल बने। अब राहुल गांधी इन्हीं वोटरों पर बड़ा दांव लगाने की कोशिश कर रहे हैं।
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— Mithilanchal News टीम
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