बिहार में विधानसभा चुनाव अक्टूबर-नवंबर में होने की संभावना है। इससे पहले राजनीतिक दलों में टिकट को लेकर हलचल मच गई है। जहां एक तरफ युवाओं को मैदान में उतारने की बात हो रही है, वहीं कई मौजूदा बुजुर्ग विधायकों पर ’70 पार’ और ‘वंशवाद’ की तलवार लटकी हुई है। आंकड़ों के मुताबिक 243 विधायकों में से 68 विधायक 65 साल से ऊपर के हैं, जबकि इनमें से 31 की आयु 70 पार है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस चुनाव में दल युवा नेताओं को तरजीह दे सकते हैं। खासकर तब जब तेजस्वी यादव, चिराग पासवान और प्रशांत किशोर जैसे युवा नेता अपनी पैठ बना रहे हैं। सत्ताधारी दल एनडीए और विपक्षी दलों के सामने यह चुनौती है कि क्या वे अपने बुजुर्ग और अनुभवी विधायकों पर दांव लगाएं या युवा और नए चेहरों को मौका दें?
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