बिहार की सियासत में सीमांचल को हमेशा सत्ता की कुंजी कहा जाता रहा है। 24 विधानसभा सीटों वाला यह इलाका किसी भी दल की किस्मत लिख देता है, लेकिन इसी सीमांचल के ‘आंचल’ में पलायन का दर्द है। रोजगार के साधन नहीं होने की त्रासदी के चलते लाखों लोग दिल्ली, मुंबई, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और खाड़ी देशों तक जाते हैं। वहीं सियासी दल चुनाव से पहले अपनी-अपनी चुनावी बिसात बिछाने में जुटे हुए हैं। मुख्य मुकाबला एनडीए और महागठबंधन के बीच है, लेकिन इस बार भी एआइएमआइएम की यहां मौजूदगी फिर नजर आ रही है। जबकि प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी भी इस इलाके में ‘उदय’ होने के प्रयास में जुटी हुई है।
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