पीसीआई ने खारिज की मीडिया मालिकों संपादको का नामांकन..

    Smachar4media:प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया‘ (PCI) के चेयरमैन व पूर्व न्‍यायमूर्ति चंद्रमौली कुमार प्रसाद ने 13वीं प्रेस परिषद के गठन के लिएएडिटर्स गिल्‍ड ऑफ इंडिया‘, ‘हिन्‍दी समाचार पत्र सम्‍मेलनऔरऑल इंडिया न्‍यूजपेपर्स कॉन्‍फ्रेंसके सभी छह नामितों को रिजेक्‍ट कर दिया है।

    इस बारे में जस्टिस सीके प्रसाद का कहना है, ‘मुझे लगता है कि संपादकों और मालिकों की एसोसिएशन अथवा प्रबंधकों द्वारा प्रस्तुत पैनल दोषपूर्ण हैं। मुझे यह भी लगता है कि वर्किंग जर्नलिस्‍ट कैटेगरी में किया गया एडिटर्स का नॉमिनेशन इस कैटेगरी में नॉमिनेट किए गए जाने वाले सदस्‍यों का दोगुना नहीं है।प्रेस काउंसिल के अधिनियम के अनुसार, इसमें एक चेयरमैन और 28 सदस्‍य शामिल होने चाहिए।

    न्‍यायमूर्ति सीके प्रसाद का यह भी कहना है कि विभिन्‍न कैटेगरी में इस तरह के संगठनों द्वारा नॉमिनेट किए गए सदस्‍यों की संख्‍या दोगुनी होनी चाहिए। जबकि एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, हिन्‍दी समाचार पत्र सम्‍मेलन और ऑल इंडिया न्‍यूजपेपर्स एडिटर्स कॉन्‍फ्रेंस ने एडिटर्स कैटेगरी में दोगुने सदस्‍यों को नॉमिनेट नहीं किया है। उन्‍होंने सिर्फ छह नामों को नॉमिनेट किया है जबकि उन्‍हें 12 नामों को नॉमिनेट करना चाहिए था। इसके अलावा इन छह नामों में मानिनी चटर्जी और जनैद अहमद एडिटर्स कैटेगरी में दावा नहीं कर सकते हैं क्‍योंकि वे क्रमश: एडिटर (नेशनल अफेयर्स) और न्‍यूज एडिटर की श्रेणी में आते हैं।

    इसलिए इन नामांकन को खारिज करते हुए न्‍यायमूर्ति ने कहा, ‘इन एसोसिएशन द्वारा दायर नॉमिनेशन में चेयरमैन अपनी तरफ से कुछ नहीं कर सकता है लेकिन वह सिर्फ पोस्‍ट ऑफिस की तरह व्‍यवहार भी नहीं कर सकता है। यदि आवेदक पात्रता की बुनियादी जरूरतों को भी पूरा नहीं करते हैं तो चेयरमैन को यह अधिकार है कि वह ऐसे आवेदकों को नॉमिनेट न करे।

    इसी तरह, ‘न्‍यूजपेपर सोसायटी‘, ‘ऑल इंडिया स्‍मॉल एंड मीडियम न्‍यूजपेपर्स फेडरेशनऔरएसोसिएशन ऑफ स्‍मॉल एंड मीडियम न्‍यूजपेपर्स ऑफ इंडियाने भी नॉमिनेट किए गए सदस्‍यों की संख्‍या दोगुनी नहीं भरी है। वहीं, अपने बचाव में इन संगठनों का कहना है कि यह जरूरी नहीं है कि इन कैटेगरी में दोगुनी संख्‍या में नॉमिनेशन किए जाएं। पहले भी इस तरह के पैनल स्‍वीकार किए जाते रहे हैं। इसके साथ ही इन संगठनों का यह भी कहना है कि पीसीआई सचिवायल द्वारा इस बारे में सिर्फ गुजारिश की गई थी और पीसीआई एक्‍ट में इस तरह का कोई प्रावधान नहीं है। वहीं, इन संगठनों के तर्क को चेयरमैन ने खारिज करते हुए कहा कि एक्‍ट में इस तरह छोटी सी गलती को नजरअंदाज किया जाना चाहिए।

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