रेशमा ख़ातून/पटना:-धर्म का अस्तित्व संसार में इसलिए बना क्योंकि सभी लोग उस एक शक्ति में विश्वास रखते हैं !
वेदों , पुराणों और कुरआन में उस एक शक्ति को प्रकाश के रूप में स्वीकारा गया है ! समाज में नैतिकता बनी रहे और लोग अपने फ़र्ज़ को निभाएें , मनुष्य मनुष्य के साथ सुव्यवहार करे इसलिए धार्मिक बने रहने और सत् कर्म करने के लिए सभी को प्रेरित किया जाता है !
धर्म का अर्थ है सभी के साथ प्रेम पूर्वक व्यवहार करना !
प्रेम का एक रूप जीवन साथी का चुनाव भी है !
प्रेम कब किसे किसके साथ हो जाए ये कौन तय करे ? कर भी नहीं सकता , क्योंकि सब कुछ भावनाओं पर टिका है !
हाय तौबा तो तब सबसे ज़्यादा मचती है जब प्रेमी जोड़ा अलग-अलग ज़ात या अलग धर्म के हों !
इनको प्यार के ख़ुमार से होश में लाने के लिए ख़ूब अच्छी ख़ासी पिटाई का डोज़ मिलना तो तय होता ही है लेकिन इसकी भयानकता तब राक्षसी रूप ले लेती है जब प्रेमी या प्रेमिका या दोनों को मौत के घाट उतार दिया जाता है !
बीते दिनों यू° पी° के कुछ हिन्दू संगठनों ने ये एैलान किया कि वो मुस्लिम स्कूलों में जाकर मुस्लिम लड़कियों को समझाएेंगे कि वो हिंदू लड़कों से शादी करें ! ये ख़बर एक व्यंग्य के अलावा और कुछ हो भी नहीं सकता क्योंकि अगर स्कूलों में जाकर एैसे कृत्य किए गए तो यू° पी° में फ़िर दंगे भड़केंगे !
कुछ ख़बरें एैसी भी सुनी जातीं हैं कि ये प्रेम जाल केवल धर्म परिवर्तन के लिए फेंके जाते हैं ! हिंदू-मुस्लिम लड़का-लड़की लव जेहाद और घर वापसी के नाम पर अपनी प्रेमिका से धर्म परिवर्तन करवाते हैं ! इस बात को मुद्दा बना कर कई बार समाज में और कोर्ट में भी पेश किया गया !
सवा सौ करोड़ की आबादी वाले इस देश में एैसे कुछ मामले ही सामने आए हैं जिनमें धर्म परिवर्तन करवाने की बात सामने आई है वहीं कई मामलों में जबरन धर्म परिवर्तन करवाने की बात से इंकार किया गया है !
धर्म और मज़हब के नाम पर राजनीति करने वालों को सभी को अपनी उंगलियों के इशारे पर नचाने के लिए एक टॉपिक मिल ही गया !
सभी लोग कृपया कर अपने आस पाड़ोस मोहल्ले की तरफ़ एक सरसरी निगाह डाल कर सोंचें कि क्या उन्होंने स्वयं एैसा मामला देखा है जिसमें धर्म परिवर्तन कराने के लिए दो धर्म के लोगों ने विवाह किया हो !
हमारे आस-पास कई सारी एैसी घटनाएँ होती रहती हैं जिसमें अलग-अलग जाती और धर्म के लोग विवाह रचा लेते हैं और अपनी मर्ज़ी से एक ही धर्म के मानने वाले बन जाते हैं !
एैसी शादियों में ५० प्रतीशत लोग कामयाब शादी निभाते हैं , २५ प्रतीशत लोग मिल-जुल कर ज़िंदगी बीता देते हैं , १० प्रतिशत अपने मन के मालिक बन कर रहते हैं , १० प्रतिशत लड़ते-झगड़ते गुज़ारा करते हैं और ५ प्रतिशत एैसी शादियां टूट जाती हैं ! पर ज़बरदस्ती धर्म परिवर्तन करवाने की बात देखने को नहीं मिलती !
ख़ैर इन अफ़वाहों को फैलाने वाले राजनीतिक संगठन अपना राजनीतिक फ़ायदा उठाने को तैयार रहते हैं !
वैसे भी अलग-अलग जाती और धर्म के मोहब्बत में पड़े एैसे लोगों की स्थित पहले से ही बड़ी ही दयनीय होती है क्योंकि जो माता-पिता उन्हें अपने सर आँखों पर रखते थे उनकी हर इच्छाओं का मान करते थे , वही माता-पिता उन्हें एक प्रेम के कारण अपनी औलाद मानने तक से इंकार कर देते हैं !.