मधुबनी:मिथिलांचल में नैरोगेज रेलवे ट्रैक अब अतीत की वस्तु बनकर याद दिलायेगी। नैरोगेज ट्रेन शपरिचालन पूरी तरह बंद कर दिया गया। 27 मई 2017 अब इतिहास में अविस्मरणीय तिथि बन गया है। इस लाइन के यात्रियों का आखरी रेल यात्रा का हिस्सा बना 5521 अप और 5522 डाउन सवारी गाड़ी रहा। शनिवार को डीआरएम आरके जैन ने सकरी जंक्शन पहुंचकर नैरोगेज की ट्रेन को इंजन पर सवार होकर विदाई दी।
मालूम हो कि 1886 में दरभंगा से सकरी-झंझारपुर-निर्मली होते हुये कोशी नदी के कनवा घाट तक छोटी लाइन का परिचालन शुरू हुआ था। यह रेल मार्ग अत्यन्त ही महत्वपूर्ण था। गोरखपुर से जगबोनी तक का सफर होता था। कोशी के विनाशकारी लीला के वाद रेलवे ट्रेक क्षत-विक्षत हो गया। तब से इसका परिचालन निर्मली तक ही सिमित हो गया। मिथिलांचल कोशी नदी की धारा बदलने से दो हिस्सों में बंट गया। तत्कालीन रेल मंत्री ललित नारायण मिश्र ने 1974 में झंझारपुर लौकहा रेल खंड का शिलान्यास किया था।
1976 में हरी झंडी दिखा पहली बार लोकहा झंझारपुर रेल खंड पर ट्रेन का परिचालन शुरू किया लौकहा रेलखंड में नैरो गेज लाईन अब इतिहास हो गया। इसकी आयु मात्र 41 वर्षो की रही। बड़ी लाइन में तब्दील करने के लिए गुरुवार की रात से रेलवे प्रशासन ने मेगा ब्लाक कर दिया है। अतीत बन चुके इस छोटी लाइन के साथ कुछ खट्टी-मिट्ठी अनुभव हैं।
बहरहाल इसका सफरनामा अमूमन निरापद ही रहा। वर्ष 1974 के पहले यह परोपट्टा रेल विहीन था। दरभंगा जयनगर निर्मली के साथ-साथ लंबी रेल यात्रा के लिए लोगों को झांझरपुर, राजनगर, सकरी जाना पड़ता था। आजादी के बाद से ही इस क्षेत्र में रेल लाइन की मांग होने लगी थी। इस रेलखंड में लौकहा खुटौना बरहरा हाल्ट, वाचस्पतिनगर, चंदेश्वर स्थान, महरैल, झंझारपुर बाजार हाल्ट और झंझारपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन है। ब्लाॅक लेने तक इस रेलखंड में चार जोड़ी गाड़ियां आती-जाती थी। वर्ष 1987 की भयंकर बाढ़ में यह रेल खंड क्षत विक्षत हो गया था। घाटे का लाईन विभाग इसको बंद करने पर अमादा था। तत्कालीन लोकसभा सदस्य डॉ. गौरी शंकर राजहंस ने तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी से कहकर चालू करवाया था। इस रेल खंड को ब्रॉडगेज लाइन में तब्दील करने की मांग पुरानी थी। पूर्व सांसद देवेन्द्र प्रसाद यादव ने इसके लिए बड़ी-बड़ी सभाएं की थी। कई संगठनो ने निर्मली जाने के क्रम में तत्कालीन रेलमंत्री नीतीश कुमार से मिलकर ज्ञापन भी दिया था। मेगाब्लाॅक की अवधि भले लम्बी हो किन्तु लोग खुश हैं। उनमे रेलवे सहूलियत बढ़ने की आस लगी है। चालू होने पर अपने निकट स्थान स्टेशन से ही लम्बी रेल यात्रा संभव हो जायेगी। रेल और सड़क से होने वाले विकास का स्वाद 1976 से ही चख रहे हैं।
सकरी से झंझारपुर के बीच 20 किलो मीटर लम्बे रेल खंड पर अमान परिवर्तन कार कार्य मार्च 2018 तक पूरा करने का लक्ष्य है। निर्मली से सरायगढ 22 किमी लम्बे रेल खंड का बीजी कंवर्जन फरवरी 2018 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारण किया गया। वहीं लोकहा झंझारपुर रेल खंड कोई लक्ष्य निर्धारण नहीं किया गया है। रेलवे बोर्ड ने सकरी लौकहा वाजार निर्मली सहरसा फारविसगंज रेल परियोजना के तहत इन खंडो को 206.6 किमी लम्बे रेल परियोजना के लिये अमूमन 355.81 करोड की खर्च निर्धारण किया है। इसके लिये मौजूदा वित्तीय वर्ष के रेल बजट में 125 करोड का प्रावधान किया गया है।