मुजफ्फरपुर: चंपारण सत्याग्रह समारोह के दूसरे दिन मंगलवार को एलएस कॉलेज परिसर के मंच पर सौ साल पुराने इतिहास को दोहराया गया। 11 अप्रैल 1917 को हुई गांधी-विल्सन की ऐतिहासिक वार्ता का नाट्य रूपांतरण किया गया। इसे देखने-सुनने के लिए शहरवासियों व गांधीप्रेमियों की भारी भीड़ जुटी। स्वयं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, मंत्री अब्दुल बारी सिद्दकी समेत कई गणमान्य नेता और अधिकारी इस ऐतिहासिक क्षण के गवाह बने। प्रस्तुत है ऐतिहासिक वार्ता के कुछ महत्वपूर्ण अंश : विल्सन : कैसे हैं मिस्टर गांधी? गांधी: गुड आफ्टर नून मिस्टर विल्सन। विल्सन: आप मुझसे मिलना क्यों चाहते थे?गांधी: सुना है चंपारण में नील की खेती करने वाले रैयतों व साहबों के बीच कुछ अनबन चल रहा है। उसी के बारे में जानना चाहता हूं। वहां की वास्तविक स्थिति क्या है?विल्सन: किस तरह की जानकारी आपके पास है?गांधी: मुङो जानकारी मिली है कि चंपारण में नीलहे साहब से रैयत परेशान हैं। तीन कठिया प्रथा की खेती है। उस प्रथा की आड़ में रैयतों पर जोर जबरदस्ती की जा रही है। तरह तरह का टैक्स वसूला जा रहा है। इतना ही नहीं, उनपर बहुत तरह के गैर कानूनी टैक्स के अलावा जोर जुल्म भी किया जा रहा है। विल्सन: आपको जानकारी कहां से मिली?गांधी: हमारे लखनऊ कांग्रेस में एक प्रस्ताव रखा गया था। उसमें इन सारी बातों की चर्चा थी। विल्सन: क्या चंपारण का कोई रैयत वहां था?गांधी: हां लखनऊ कांग्रेस में बिहार से 80 से ज्यादा लोग शामिल हुए थे। उनमें रैयत, वकील और डॉक्टर भी शामिल थे। विल्सन: क्या आप किसी एक का नाम बता सकते हैं?गांधी: हां उनमें राजकुमार शुक्ल ने प्रस्ताव का समर्थन किया था जिसे बाबू ब्रजकिशोर ने रखा था। उसमें अरिक्षण बाबू भी शामिल थे। विल्सन: आप इसमें क्यों पड़ना चाहते हैं?गांधी: ऐसा है कि रैयतों ने मुझको ही वह प्रस्ताव रखने को कहा था। लेकिन मैं रैयतों की वास्तविक स्थिति से अवगत नहीं था, इसलिए प्रस्ताव मैंने नहीं रखा। उन्होंने मुझसे बार-बार आग्रह किया कि आप एक बार यहां आकर सारी स्थिति देखें। पत्र लिखा, जाकर मिले। इसलिए में चंपारण के सारी स्थिति का तहकीकात करना चाहता हूं। विल्सन:मिस्टर गांधी, आपको चंपारण जाने की जरूरत नहीं है। मुझसे ही सारी जानकारी मिल सकती है।गांधी: मेरा चंपारण है। मैं सरकार और रैयतों की मदद करना चाहता हूं। विल्सन: फिर तो मैं व्यक्तिगत मदद कर सकता हूं, लेकिन प्लांटर्स ऐसोसिएशन की तरफ से कोई प्रॉमिश नहीं कर सकता।गांधी: मैं समझ सकता हूं, मिस्टर विल्सन। व्यक्तिगत सहायता का स्वागत करता हूं। लेकिन बात एक नीलहे या रैयत की नहीं, दो सौ गांव के 19 लाख लोगों का है। समाधान मिलजुल कर करना होगा। विल्सन: वेल आई एप्रिशिएट इट। बट आई रीपिट आपको चंपारण जाने की जरूरत नहीं, सरकार बहादुर ने बहुत काम किया है। उन्होंने तिरहुत में सर्वे का काम कराया है। इस रिपोर्ट में रैयतों के कंडिशन, प्लांटर्स के बारे में भी रिपोर्ट एवेलेबल है। आप रिपोर्ट देख सकते हैं।गांधी: क्या वह रिपोर्ट उपलब्ध हो सकेगा, आपके पास है?विल्सन: मेरे पास मुजफ्फरपुर का पार्ट है, चंपारण का पार्ट नहीं। गांधी: लेकिन मैं अपने चंपारण के लोगों का दुख दर्द जाने बिना चैन से नहीं रह सकता। मैं सारी परिस्थिति से अवगत होना चहता हूं। सरकार को भी मेरी सहायता की जरूरत है। जब तक सुलह सफाई नहीं होगा, शांति का माहौल कायम नहीं होगा। विल्सन: पर आपका करना अननेशेसरी और अन डिजायरेबल है। आपको मालूम है सरकार बहादुर ने इस संबंध में बहुत कुछ किया है। गांधी : मेरा आपस अनुरोध है कि रैयतों की स्थिति स्पष्ट करें और मुङो स्प्ष्ट कहना है कि मैं चंपारण के रैयतों का हाल देखना चाहता हूं। विल्सन: आपको मालूम है, आपके जाने से किसान रिवोल्ट कर सकते हैं। गांधी: मैं समझ सकता हूं। ऐसा कुछ नहीं होगा। मैं सरकार की सहायता को तैयार हूं और युवाओं से देश की सेना में भर्ती होने की अपील करता हूं। विल्सन: आपकी जिद के कारण अननेशेसरी प्रॉब्लम खड़ा होगा। सरकार बहादुर के लिए। आप फिर से सोंचे।गांधी: मेरे काम से रैयत की परेशानी दूर होगी। आपकी जिद से यह काम और गड़बड़ हो जाएगा। विल्सन: आपके एटीट्यूड से मामला खतरनाक हो जाएगा। वहां आउटसाइडर की जरूरत कतई नहीं है।गांधी: मिस्टर विल्सन, मेरे अपने ही देश में आप मुङो आउटसाइडर करार दे रहे हैं। मैं आत्मा की आवाज सुनता हूं। मैं वहीं करूंगा। विल्सन: कितनी अच्छी बात होती। रैयत व नीलहों की समस्या सुलझाने में आप मदद करते, लेकिन आप अपनी मजबूरी बता रहे हैं। मैं उनके बीच सम्मानजनक समझौता चाहता हूं। आई विल हैव टू गो टू चंपारण विल्सन: एनफ इज एनफ, आप जैसा समङिाए किजिए।