‘ट्रेजडी किंग’ दिलीप कुमार की कहानी

दिलीप कुमार (जन्म 11 दिसंबर, 1922 जन्म का नाम: यूसुफ़ ख़ान), हिन्दी फ़िल्मों के एक प्रसिद्ध और लोकप्रिय अभिनेता है जो भारतीय संसद के उच्च सदन राज्य सभा के सदस्य रह चुके है। दिलीप कुमार को उनके दौर का बेहतरीन अभिनेता माना जाता है, त्रासद या दु:खद भूमिकाओं के लिए मशहूर होने के कारण उन्हे ‘ट्रेजिडी किंग’ भी कहा जाता था। उन्हें भारतीय फ़िल्मों के सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया है, इसके अलावा दिलीप कुमार को पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-इम्तियाज़ से भी सम्मानित किया गया है।



उनकी पहली फ़िल्म ‘ज्वार भाटा’ थी, जो 1944 में आई।1949 में बनी फ़िल्म अंदाज़ की सफलता ने उन्हे प्रसिद्धी दिलाई, इस फ़िल्म में उन्होने राज कपूर के साथ काम किया। दिदार (1951) और देवदास (1955) जैसी फ़िल्मो में दुखद भूमिकाओं के मशहूर होने के कारण उन्हे ट्रेजिडी किंग कहा गया। मुगले-ए-आज़म (1960) में उन्होने मुग़ल राजकुमार जहांगीर की भूमिका निभाई। यह फ़िल्म पहले श्वेत और श्याम थी और 2004 में रंगीन बनाई गई। उन्होने 1961 में गंगा-जमुना फ़िल्म का निर्माण भी किया, जिसमे उनके साथ उनके छोटे भाई नासीर खान ने काम किया।

1970, 1980 और 1990 के दशक में उन्होने कम फ़िल्मो में काम किया। इस समय की उनकी प्रमुख फ़िल्मे थी: विधाता (1982), दुनिया (1984), कर्मा (1986), इज्जतदार (1990) और सौदागर (1991)। 1998 में बनी फ़िल्म किला उनकी आखरी फ़िल्म थी।

उन्होने रमेश सिप्पी की फ़िल्म शक्ति में अमिताभ बच्चन के साथ काम किया। इस फ़िल्म के लिए उन्हे फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार भी मिला।

वे आज भी प्रमुख अभिनेताओ जैसे शाहरूख खा़न के प्रेरणास्रोत्र है।फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार
1983 – फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार – शक्ति
1968 – फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार – राम और श्याम
1965 – फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार – लीडर
1961 – फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार – कोहिनूर
1958 – फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार – नया दौर
1957 – फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार – देवदास
1956 – फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार – आज़ाद
1954 – फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार – दाग

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