पहले सार्स वायरस और अब करोना वायरस महामारी का घर बन चुके चीन को अब विदेशी कंपनियों ने बड़ा झटका दिया है। ऐसे में 600 विदेशी कंपनियां अपना बिजनेस चीन से शिफ्ट कर कहीं और जाने का मन बना रही है। और इस परफेक्ट समय को भुनाते हुए केंद्र सरकार ने चीन में काम करने वाले इन सभी कंपनियों से संपर्क साधा है। जो वहां से अपना बोरिया बिस्तर बांध कर किसी दूसरे देश में निर्माण निर्माण स्थल लगाने पर विचार कर रही है।
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने इसको अंजाम तक पहुंचाने के लिए उन सभी राज्यों से संपर्क साधा है जो राज्य सबसे किफायती स्तर पर और कम समय में प्लांट लगाने की सहूलियत दे सकते हैं जिससे उनके यहां विदेशी कंपनियों को जाने की छूट तो मिलेगी इसके साथ ही राज्यों को अलग से प्रोत्साहन दिया जाएगा यह तमाम जानकारी यह तमाम जानकारी वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने दी है।
केंद्रीय मंत्री गोयल ने जानकारी देते हुए बताया है कि हमारा मकसद है है कि भारत को अब पदार्थों के उत्पादन का विश्वस्तरीय हब बनाया जाए , कच्चे माल की आपूर्ति के लिए उन देशों से संपर्क साधा जा रहा है जहां इसकी उपयोगिता बहुत ज्यादा है।
भारत को 12 तरह के उत्पादों का विश्व सप्लायर बनने की तैयारी चल रही है इसमें ऑटो पार्ट्स, लेदर और लेदर शूज, टेक्सटाइल, फूड प्रोसेसिंग, इलेक्ट्रॉनिक ,अलमुनियम, लोहा इस्पात और पीपी जैसे जरूरी रसायन शामिल है। आत्मनिर्भर भारत पर किए गए सवाल के जवाब में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने यह भी बताया कि स्वदेशी होने का मतलब दुनिया से कटना नहीं है, ना ही विदेशी कंपनियों के लिए अपने दरवाजे बंद करना होता है। स्वदेशी का मतलब आत्मविश्वास से भरा आत्मनिर्भर भारत है।
आत्मनिर्भर का जो नारा दिया जा रहा है उसका यह मतलब नहीं कि हम दुनिया से कटने जा रहे हैं या विदेशी कंपनियों को हम अपने या नहीं बुला रहे हैं। कोरोनावायरस से जिस तरह भारत लड़ रहा है उसको देखते हुए विदेशी कंपनियां भारत में रुचि दिखा रही है। और यह बोलना गलत ना ही होगा कि कोरोना वायरस ने अगर चुनौतिया दी है तो कई तरह के अवसरों को भी प्रदान किया है। बताया जा रहा है कि इसके लिए मोदी सरकार उद्योग जगत से मिलकर आगे के लिए रणनीति भी तैयार कर रही है। अलग-अलग उद्योगों के लिए अलग-अलग रणनीति बनाई जाएगी। लेकिन यह तभी सफल हो पाएगा जब विदेशी कंपनियों को भारत लाने में राज्य सरकारें अपनी अहम भूमिका निभाएगी।