कहानी उस फोन कॉल कि जिस ने Ajit Jogi को रातों-रात कलक्टर से राजनेता बना दिया

    ब्यूरोक्रेट, राजनेता और छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी जिन्होंने कल आखिरी सांस पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे। रायपुर के अस्पताल में उन्हें कडिएक अटैक हुआ जिसके बाद उन्हें बचाया नहीं जा सका।
    अजीत जोगी ने अपने जिंदगी में काफी कुछ हासिल किया पहले मैकेनिकल इंजीनियरिंग की फिर गोल्ड मेडल जीता यूपीएससी निकालकर आईपीएस में शामिल हो गए। 2 साल बाद आईएस क्लियर किया 1985 की साल में वह अविभाजित मध्यप्रदेश के सबसे प्रतिष्ठित जिला पोस्टिंग में से एक पर थे इंदौर कलेक्टर।
    उसी साल एक रात जोगी के बंगले पर एक फोन आया फोन करने वाले को बताया गया कि कलेक्टर साहब आराम कर रहे हैं, उधर से प्रधानमंत्री उस वक्त के राजीव गांधी उनके निजी सचिव वी जॉर्ज की आवाज आती है कि साहब को उठाइए। इसके बाद जॉर्ज ने जो अजीत जोगी से कहा उसने उनकी जिंदगी बदल दी वी जॉर्ज के शब्द थे ,तुम्हारे पास ढाई घंटे का समय है सोच लो कि राजनीति में आना है या जिला कलक्टर ही रहना है। दिग्विजय सिंह लेने आएंगे उनको अपना फैसला बता देना।
    इसके बाद दिग्विजय सिंह जोगी को लेने आए और अजीत जोगी कलेक्टर से नेता हो गए राजीव गांधी ने खुद बुलाया था तो जल्दी राजसभा भेज दिए गए। उस समय मध्यप्रदेश कांग्रेस मे दिग्विजय के अलावा मोतीलाल वोरा ,शुक्ला बंधु और अर्जुन सिंह जैसे मजबूत मजबूत लोग थे। लेकिन अजीत जोगी ने धीरे-धीरे अपने लिए जगह बना ली .

    अजीत जोगी का सिक्का तब चमका जब साल 2000 में अटल बिहारी बाजपेई की सरकार ने 3 नए राज्यों का गठन किया उत्तराखंड, झारखंड और छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश में उन दिनों कांग्रेस का राज था, कांग्रेस आलाकमान पार्टी के किसी भी धरे से मुख्यमंत्री नहीं बनाना चाह रही थी कहीं फूट न पड़ जाए। फिर नारा दिया गया कि छत्तीसगढ़ की पुरानी मांग पूरी की जाए एक आदिवासी मुख्यमंत्री बने इस तरह छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री बने अजीत जोगी।
    अजीत जोगी के राजनीतिक सफर में कई बार विवादों के साथ भी उनका नाम जुड़ा कभी उन पर विधायकों को खरीदने का इल्जाम लगा फिर बाद में क्लीन चिट भी मिली। जाति का विवाद तो सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा।
    2004 में अजीत जोगी का एक्सीडेंट हुआ जिसके बाद से वह व्हीलचेयर पर थे लेकिन विवादों में उनका नाम आता रहा। 2018 के विधानसभा चुनाव में अजीत जोगी की पार्टी छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस ने मायावती के पार्टी के साथ गठबंधन किया लेकिन अपने दम पर सीएम बनने का उनकी आस पूरी नहीं हुई अब उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।

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