उत्तरखंड में भगवान केदारनाथ धाम पट खुलने के बाद आज सुबह साढ़े चार बजे भगवान बदरीनाथ धाम के कपाट भी खुल गए. सेना के बैंड की धुन पर मंत्रोच्चार के साथ सुबह 4.30 बजे दर्शनों के लिए कपाट खोले गए. जैसे ही कपाट खुले मंदिर परिसर में भगवान बद्रीनाथ के जयकारे गुंजायमान हाे उठे। भगवान की एक झलक पाने के लिए श्रदालु आतुर नजर आए। सुबह तीन बजे से ही भक्तों का तांता लगा हुआ था.
इससे पहले सुबह मंदिर मुख्य सिंह द्वार को फूल मालाओं से भव्य रूप से सजाया गया था। सुबह साढ़े तीन बजे बदरीनाथ के दक्षिण द्वार (लक्ष्मी द्वार) से भगवान कुबेर की डोली के साथ बामणी गांव के वृतिदारों ने परिक्रमा परिसर में प्रवेश किया।
अगले छह माह भगवान बद्रीविशाल के साथ कुबेर व उद्धव पूजे जाएंगे। साथ ही लक्ष्मी जी मुख्य मंदिर से परिक्रमा में अपने मंदिर में विराजमान हुई। इससे पहले शीतकाल में भगवती लक्ष्मी भगवान बद्रीविशाल के साथ विराजमान थी। जबकि उद्धव जी के मुख्य मंदिर में विराजमान होने से पहले श्रीमान रावल ने लक्ष्मी जी को गर्भगृह से लक्ष्मी मंदिर में विराजित किया।
हजारों श्रद्धालुओं ने भगवान विष्णु के दर्शन किए. ये भक्त पिछले दो दिनों से यहां पहुंच रहे थे. हर साल जाड़े की शुरुआत में कपाट बंद हो जाते हैं और फिर गर्मी के मौसम में कपाट खुलते हैं. हर साल अक्टूबर-नवंबर में बंद होने वाले कपाट अप्रैल-मई में खोले जाते हैं.