कालीदास रंगालय में ” दस दिन का अनशन “! पढ़े पूरी खबर..

    कालीदास रंगालय में ” राग ” की ओर से लेखक हरिशंकर परसाई की लिखी एवं सुनील कुमार राम उर्फ सुनील बिहारी के निर्देशन में नाटक ” दस दिन का अनशन ” का मंचन किया गया !

    यह नाटक एक व्यंग्य है , जिसका उद्देश्य जनता तक इस बात को पहुँचाना था कि पाखंडी बाबा और उनके चेले नेता किस तरह व्यक्तिगत मामले को जातीगत् और धार्मिक रूप देकर अपनी साख बनाते हैं और वोट बैंक तैयार करते हैं !

    कहानी कुछ इस तरह से शुरू होती है , एक बाबा ” सनकी दास ” अपने चेलों के साथ बैठे अपनी खुशी ज़ाहिर करते हैं कि किस तरह से अनशन द्वारा उन्होंने संविधान में बदलाव करवा कर जटा रखना अनिवार्य करवा दिया है !

    तभी एक भक्त बन्नू को अपने साथ लेकर आता है और बन्नू को अपनी बात बाबा सनकी दास से कहने को कहता है ! बन्नू बाबा से कहता है कि रास्ते में उसकी साईकिल एक आदमी के स्कूटर से टकरा गई थी , स्कूटर वाले राधिका प्रसाद की पत्नी सावित्री से उसे प्रेम हो गया है !

    बाबा सनकी दास कहते हैं कि यदि बन्नू उनका कहा माने तो वे सावित्री को पाने में उसकी मदद करेंगे ! बाबा सनकी दास बन्नू को आमरण अनशन पर बैठा देते हैं ! बन्नू भूख के कारण कई बार अनशन तोड़ना चाहता है , पर बाबा के चेले अपना नाम बचाने के लिए बन्नू को हर बार रोक देते हैं !

    बाबा द्वारा यह बात फैलाई जाती है कि बन्नू अपने पिछले जन्म में एक ऋषि-मुनी था और सावित्री उस जन्म में उसकी पत्नी थी ! क्योंकि विवाह तो सात जन्मों का बंधन है इसलिए इस जन्म में सावित्री से जो ग़लती हुई है उसे सुधारा जाए और सावित्री को बन्नू के सुपुर्द किया जाए ! इस पूरे प्रकरण को मीडिया द्वारा ख़ूब कवर किया जाता है ! नेता बन्नू की मदद करने का भरोसा देते हैं ! बन्नू ब्रह्म है और सावित्री कायस्थ यह कह कर बाबा सनकी दास इस मामले को और तूल देते हैं ! ब्रह्मणों को आत्म दाह के लिए उकसाया जाता है ! दंगे होते हैं , कर्फ्यू लग जाते हैं और अंततः यह फ़ैसला दिया जाता है कि सावित्री बन्नू को दे दी जाए !
    आखिरी सीन में सावित्री वर माला लिए खड़ी है और भूख से मर रहे बन्नू को तैयार किया जाता है , वह सावित्री के सम्मुख वधु माला लेकर खड़ा होता है और माला डालने से पहले ही धराशाई होकर ज़मीन पर गिर जाता है ! सावित्री वर माला के फूल तोड़कर बन्नू के मृत शरीर पर डालती है और कहती है ” भगवान आपकी आत्मा को शांति दे ” !

    कलाकारों में,
    बन्नू- हीरालाल रॉय
    बाबा सनकी दास- रानी बाबू
    सावित्री- रूबी ख़ातून
    राधिका प्रसाद/नेता- रणविजय सिंह
    मीडिया रिपोर्टर- अन्नू प्रिया
    सहायक कलाकारों में – शुभम कौशिक , ज्ञान पंडित , नंद किशोर , अभिषेक कुमार , राहुल कुमार , मो°सदरूद्दीन , राजवीर , शैलेश कु° शर्मा और सभी सहयोगियों ने कहानी को पूर्ण रूप से जीवंत कर दिया और दर्शकों तक ये बात पहुँचाने में कामयाब रहे कि ढोंगी बाबा और उनके चेले नेताओं की बातों में ना आओ , अपनी अकल लगाओ…

    रेशमा ख़ातून
    की
    रिपोर्ट.

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