समस्तीपुर भी असाम्प्रदायिकता के चपेट में

    पटना बिहार मिथिलांचल न्यूज:-़ सच मे क्या हो गया है इस बिहार की धरती को पहले औरंगाबाद फिर भागलपुर औऱ अब समस्तीपुर इसकी चपेट में। असमाजिकता का ये विकराल रूप सच में मैं निशब्द हूँ। ।।

    पर आप पढ़िए पत्रकार अभिसार शर्मा को जिन्होंने अपने फेसबुक पेज पर मानवता के पक्ष में एक विचार व्यक्त किया हैं।
    औऱ मिथलांचल न्यूज़ स्वागत करता हैं उनके इस विचार का औऱ आप सब से विनम्र निवेदन करता हैं की अभिसार शर्मा के विचारों को पढ़े और एक बार अवश्य इस बात पर मंथन करे।

    पहले जाने पूरा मामला क्या हैं

    समस्तीपुर जिले के रोसड़ा में भगवा संगठनों द्वारा एक मस्जिद पर भगवा झंडे लहराये जाने से तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार जिले के रोसड़ा कस्‍बे में कुछ असामाजिक तत्‍व जामा मस्जिद के पास जुट गए और उस पर चढ़कर भगवा झंडे लगा दिए। घटना का विडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। इस वीडियो में एक व्यक्ति मस्जिद की मीनार पर चढ़कर भगवा झंडा लहराता दिख रहा है।
    स्थानीय निवासियों ने दावा किया कि उन्होंने मस्जिद परिसर का हिस्सा जला दिया। पवित्र कुरान के कई पन्नों को भी जलाया गया। इस घटना में गुस्साए आसपास के इलाके के लोग सड़कों पर आ गए और पथराव किया। सड़क और रेल सेवा को करीब छह घंटे तक रोक दिया गया। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए हवाई फायरिंग भी की।
    पथराव में वरिष्ठ पुलिस अधिकारी सहित कई अन्य लोग घायल हो गए। घटना के बाद पूरे इलाके में धारा 144 लगाया गई है। जिला में इंटरनेट सेवा को बंद कर दिया गया है। स्कूलों को छुट्टियां दी गई हैं और स्थिति तनावपूर्ण लेकिन नियंत्रण में है।
    प्रशासन इस पूरी घटना के दौरान मूकदर्शक बना रहा। इस संबंध में समस्‍तीपुर के एसपी दीपक रंजन ने कहा कि अब हालात सामान्‍य हैं। उन्‍होंने जानकारी दी कि मंगलवार सुबह कुछ उपद्रवी तत्वों ने शांति-व्‍यवस्‍था को भंग करने के मकसद से इस घटना को अंजाम दिया। उन्‍होंने कहा कि मंगलवार सुबह एक खास समुदाय के लोग अशांति फैलाने के मकसद से यहां जमा हुए थे।
    जानकारी मिलने पर पुलिस फौरन पहुंची और हालात को काबू में किया गया। इस मामले में एक व्‍यक्ति को गिरफ्तार किया गया है। उनके मुताबिक, जब पुलिस वहां पहुंची तो उन्‍हें भगवा झंडे नहीं मिले, केवल तिरंगा लगा हुआ मिला।

    अभिसार शर्मा के शब्द।।।
    नोट: इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के अपने विचार हैं

    मैंने वहां से काफी रिपोर्टिंग की है…मेरी कई रिपोर्ट्स की अब भी चर्चा होती है…प्यार भी मिलता है, गाली भी… ज्यादातर प्यार… अब पता चल रहा है कि वहां छिटपुट दंगे शुरू हो गए हैं…पहले भागलपुर, अब औरंगाबाद… और ये सब जब बीजेपी चोर दरवाजे से सत्ता मे दाखिल हुई है….वाकई निशब्द हूं…बीजेपी के सत्ता मे आने पर नहीं… वहां धीरे-धीरे बिगड़ते माहौल

    पर….

    यह तस्वीर समस्‍तीपुर जिले के रोसड़ा कस्‍बे का है जहां हिंदुत्ववादी उपद्रवियों ने मस्जिद पर चढ़कर भगवा झंडे लगा दिए।
    जिस राज्य ने खुद को हमेशा सांम्प्रदायिक उन्माद से दूर रखा…वो उसमे दफ्न हो रहा है? क्यों? मैं जानता हूं ये शूरुआत भर है…मगर ये एक चेतावनी है… हर बिहारी के लिए… हमें खुद को बांटने की वजह नहीं चाहिए…पहले से ही ढ़ेंरो कारण हैं…ये कैसे लोग हैं जो लोगों मे दरारें पैदा कर रहे हैं? ये कैसे लोग हैं जिनके लहू की प्यास नहीं मिटती….
    कैसे लोग हैं ये? और एक आम बिहारी इसे क्यों बर्दाश्त कर रहा है… और क्या कर रहे हैं सुशासन बाबू? क्या नीतीश कुमार वाकई अपनी रीढ़ गिरवी रखवा दी है? कहां गया आपका प्रशासनिक हंटर…आपका जौहर जिसकी वजह से आपको हम लोगों ने सुशासन बाबू का दर्जा दिया था….
    और आम बिहारी से फिर वहीं सवाल… क्या आपको अंदाज़ा है कि आप खुद को किस गर्त मे दफ्न कर रहें हैं… क्या आप जानते हैं कि आप खुद को कैसे बदल रहे हैं? सिर्फ इसलिए कि एक राजनीतिक पार्टी अपना कद बढाना चाहती है? क्या इस बात से इंकार किया जा सकता है कि बिहार मे दंगों की घटनाएं…बीजेपी की राजनीतिक महत्वाकांक्षा से जुड़ी है?

    ये कैसे सोच हैं जो लोगों मे दोहराव को सियासत मानती है…और वो कैसे लोग होेंगे जो इस सोच से इत्तेफाक रखते हैं? और क्या आपको अपने बच्चों की परवाह है…कैसा माहौल तैयार कर रहे हैं आप उनके लिए…आप कैसा बिहार चाहते हैं भई? अभी औरंगाबाद भागलपुर है…कल कई और हिस्से इसकी जद मे आएंगे…
    आपके घर इसके चपेट मे आएंगे….फिर क्या कीजिएगा? अगर ये हिंदू अस्मिता का मुद्दा होता तो बिहार मे ऐसे कई मौके आए हैं…जब ये उबाल आ सकता था….आडवाणी की रथ यात्रा याद होगी आपको…ये सिर्फ और सिर्फ एक पार्टी की सोच, उसकी राजनीति चमकाने का जरिया भर है और कुछ नहीं….
    मैं बिहार से मोहब्बत करता हूं और मेरे दोस्त इस बात को जानते हैं…इसलिए चिंता होती है…. मेरी इस बात को एक पत्रकार की तरह नहीं एक आम इंसान की चिंता के तौर पर लीजिएगा….

    आशीष श्रीवास्तव की रिपोर्ट……..

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