आपका पसंदीदा रंग चाहे जो भी हो जब आप होली खेलते हैं तो सारे रंगों को ख़ुद पर लगने से बचा नहीं पाएंगे और कोई इन रंगों से बचे भी क्यों आख़िर ” होली है ” भई !
सूखे-गीले रंग , वाटर बैलून , पिचकारी , अबीर-गुलाल सभी को पसंद हैं ! होली खेलने की हमारी भारतीय परम्परा हज़ारों सालों पुरानी है ! तब लोग फूलों से रंग बनाया करते थे और उसी से होली खेली जाती थी ! फूलों की पंखुड़ियों को एक दुसरे पर डाल कर भी होली खेलने का प्रचलन था !
वो होली कितनी सुंदर रही होगी जिसमें हर ओर सिर्फ और सिर्फ फूलों की खुशबू ही फैली होगी !
आज हमारा आधुनिक समाज होली खेलने की परम्परा को बरकरार रखे हुए है पर ना जाने क्यों होली के फूलों को सब भूल चुके हैं !
” ला टोमाटीना ” स्पेन में मनाया जाने वाला वो फेस्टिवल है जिसमें टमाटरों को एक दुसरे पर फेंका जाता है !
समय बदला लेकिन आज भी स्पेन के लोग टमाटरों से ही ” ला टोमाटीना ” फेस्टिवल ” मनाते हैं ना कि बाज़ार में बिक रहे डिब्बा बंद या बोतलों में मिलने वाले टोमैटो केचअप से !
तो फ़िर हमें कौन सी हवा लग गई कि आज हम डिब्बा बंद आर्टीफ़िशियल कलर से होली मनाने लगे ?
हमारी भारतीय संस्कृति दुसरे देशों का काफ़ी कुछ अपनाती रही है ,इस आधुनिक युग में आज हम ” ला टोमाटीना ” फेस्टिवल भी मनाने लगे हैं पर टोमैटो केचअप से नहीं टमाटर से ! फ़िर होली में हम फूलों से ही इस रंगों के त्योहार को क्यों नहीं मनाते ?
इसमें सुन्दरता , शालीनता , मोहकता और खुशबू का जो अद्भुत मेल है वह और कहाँ !!!
रेशमा ख़ातून…
————————————————-mithilanchalnews————————————————————–
फटाफट ख़बरों के लिए हमे फॉलो करें फेसबुक, ट्विटर, गूगल प्लस पर..
Read all latest headlines in Hindi. Also don’t miss today’s Hindi News.