सिटी रिपोर्टर | समस्तीपुर
वर्ग कक्ष की कमी के कारण जिले के 1000 स्कूलों में बच्चों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। लाख प्रयास के बावजूद शिक्षा विभाग में निर्माण कार्य को पूरा नहीं किया जा सका है। विभाग में इन दिनों कार्य प्रगति पर का खेल खेला जा रहा है।
चाहे अतिरिक्त वर्ग कक्ष के निर्माण का मामला हो या नव सृजित विद्यालयों के भवन निर्माण का, यहां कार्य प्रगति हास्यास्पद है। आला अधिकारियों की भी नजर इस विभाग की खेल की ओर नहीं है। कई विद्यालयों में स्थिति यह है कि वर्ग कक्ष नहीं रहने के कारण एक ही कक्ष में वर्ग एक से पांच तक की पढ़ाई होती है। इस कारण से बच्चे सही तरीके से शिक्षा भी ग्रहण नहीं कर पाते। वर्ग कक्ष में क्षमता से अधिक बच्चों के बैठने के कारण हल्ला भी होते रहता है।
शिक्षा विभाग के सूत्रों की मानें तो वर्ष 2011-12 से लेकर वर्ष 2014-15 तक जिले के तमाम प्रारंभिक विद्यालयों में बच्चों की अधिक संख्या को देखते हुए 2831 अतिरिक्त वर्ग कक्ष का निर्माण कराने को स्वीकृति दी गयी। इस मद में विद्यालयों को राशि का भी आवंटन कर दिया गया। लेकिन हद तो यह कि तमाम प्रयासों के बाद भी केवल 1831 अतिरिक्त वर्ग कक्षों के निर्माण कार्य ही पूर्ण कराया जा सका।
शेष 1000 अतिरिक्त वर्ग कक्ष का निर्माण कार्य लंबी अवधि के बाद भी पूर्ण नहीं हो सका है। शिक्षा विभाग द्वारा असैनिक कार्य की सुस्ती यहीं समाप्त नहीं होती। वर्ष 2012-13 में प्रारंभ किये गये नवसृजित विद्यालयों के भवन निर्माण की रफ्तार इतनी सुस्त है कि अब भी 65 में से पांच विद्यालयों का निर्माण कार्य पूर्ण नहीं हो सका है।