बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को विधानसभा में विश्वास मत हासिल किया था, जिसमें उन्होंने अपने नए सहयोगी बीजेपी सहित 131 विधायकों का समर्थन हासिल किया था, लेकिन जोर देकर कहा कि उनका पक्ष बदलकर “सेवा” के लिए है न कि “मेवा” के लिए है।
मुख्यमंत्री के रूप में कुमार का नया कार्यकाल दो दिन बाद आया, जब उन्होंने अपने पूर्व गठबंधन साझेदारों, राजद और कांग्रेस को आश्चर्यचकित करते हुए इस्तीफा दिया और भाजपा के साथ वापस आकर गठबंधन सरकार के मुखिया के रूप मे शपथ ग्रहण किया
“सत्ता में रहने पर सरकार को बड़ी जिम्मेदारी होती है, सरकार कमाने के लिए नहीं होती है । ये सेवा का अवसर है, ना की मवा का (यह सेवा करने का एक मौका है, मुनाफा कमनए का नहीं है, “उन्होंने ये बातें विश्वास मत पेश करने से पहले कहा था।
उन्होंने कहा, “मुझे बिहार के लोगों के अच्छे हित में सरकार को चलाने की बहुत कोशिश की पर उनको कदम कदम पर विरोध का सामना करना ,उन्होंने महागाठबंधन की रक्षा करनी की हर कोशिश की , लेकिन राजद के दृष्टिकोण के कारण असफल रहे।”
हालांकि, उन्होंने कहा कि वह “बिहार का जनादेश और लोगों की प्रति ज़िम्मेदार” थे
आरजेडी के नेतृत्व वाले विपक्षी ने 108 वोट प्राप्त किए। चार विधायकों ने मतदान नहीं किया,। चार स्वतंत्र विधायकों में से दो ने सदन कुमार के लिए मतदान किया।
एक गुप्त मतपत्र करने की राजद और कांग्रेस की मांग को विधान सभा सभापति विजय कुमार चौधरी ने ठुकरा दिया।
वोट से पहले, विपक्षी नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजसवी यादव ने भावनात्मक भाषण दिया, उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों को गलत बताया और कहा कि इस के लिए उनके लड़ाई जारी रहयेगे ।
उधर, बिहार में जेडीयू-बीजेपी सरकार के विरुद्ध राजद की याचिका हाईकोर्ट ने मंजूर कर ली है. इसको लेकर सुनवाई सोमवार को होगी.
Patna: RJD MLAs protest outside #Bihar assembly ahead of CM #NitishKumar's floor test. pic.twitter.com/wJGCOHDvxQ
— ANI (@ANI) July 28, 2017