2014 में इस्लामिक स्टेट आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट आतंकी समूह द्वारा बंधक बनाये गये 39 भारतीयों के पर इराकी सरकार के पास “कोई महत्वपूर्ण जानकारी नहीं है”, विदेश मंत्री इब्राहिम अल जाफरी ने सोमवार को कहा था।
भारत के आधिकारिक दौरे पर आये अल जाफरी ने संवाददाताओं से कहा, “हमारे पास कोई ठोस सबूत नहीं है कि वे (भारतीय) मारे गए या वे जीवित हैं, इसलिए हम इस संबंध में कुछ जानकारी नहीं दे सकते।”
ईराकी सरकार, की तरफ से बोलते हुए कहा, भारत सरकार और उनके परिवारों के रूप में 39 भारतीयों के भविष्यके बारे में हम चिंतित है ।
अल-जाफरी ने कहा कि इराक सरकार पुरुषों, सभी निर्माण श्रमिकों का पता लगाने के अपने प्रयासों के जारी रकेगी, जिन्हें तीन साल पहले आतंकवादियों ने अपहरण कर लिया था।
नई दिल्ली में अल जाहारी के आगमन से पहले, इराकी दूतावास ने कहा था कि “भारतीय नौजवानों को खोजने के लिए खोज अभियान चला रहे हैं और इराकी और भारतीय अधिकारियों के बीच उच्चस्तरीय समिति इसका नेतृतव कर रही है”
माना जाता है कि अपहृत भारतीयों का मामला अपने भारतीय समकक्ष सुषमा स्वराज के साथ अल-जाफरी की बातचीत से निकल कर आया था।
मोसुल में अपहृत 40 लोगों के समूह से बचने वाले एकमात्र भारतीय, हरजीत मसीह ने कई मीडिया आउटलेट्स को बताया है कि 15 जून 2014 को बडौश के पास रेगिस्तान में अन्य लोगों को मार गिराया गया था। उनके इस दावे को सरकार ने अस्वीकार कर दिया है।