सस्ती लोकप्रियता

patna Bihar [mithilanchalnews.in]:-दौर नया, वक़्त नया है , तरीका बदल रहा है हमारे जीने का, रहने का, इस तेज़ी से बदलते वक्त के साथ जो एक औऱ चीज़ जो बेहद तेजी से बदल रही है, वो हैं लोकप्रियता पाने का तरीका सोशल मीडिया पर उसके तरीके कई सारे हैं पर उसमें आज के समय मे जो सब से ज्यादा प्रचलन में है वो है अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर कुछ भी बोल दीजिये जिससे विवाद उत्पन हो, फिर क्या सोशल मीडिया पर उसका ट्रेंड शुरू होने दीजिए और मज़ा तो तब हैं जब वो सोशल मीडिया से होते हुए इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर जा पहुँचे।(अगर आप लगातार tv न्यूज़ देखते है तो कई नेता आपको इस प्रोपोगेंडा को अपनाते हुए मिले होंगे) और अब इंतजार कीजिये शीत युद्ध शुरू होने का ।

युद्ध जितना लंबा चलेगा आपकी लोकप्रियता उतनी बढ़ेगी कुछ लोग आप के पक्ष में आएंगे कुछ विपक्ष में।बड़ा सिंपल सा लॉजिक है भईया,लोकप्रयिता पाने का इससे सस्ता उपाय कही नहीं मिलेगा।हाँ इसमें जो सबसे अहम बात हैं इसके बाद की कड़ी, इसके बाद की जो कड़ी हैं उसमे आपका माहीर होना जरूरी हैं ।आपको अपने बयान से मुकरने का और तर्क वितर्क दे कर अपने आप को सही साबित करने की कला होनी चाहिए अब जो इन चीज़ों में माहिर होंगे उनका मामला तो फिट हैं, लेकिन जो देखा देखी इस में कूदते है और फिर निकल नहीं पाते उनके साथ बड़ा लोचा हो जाता हैं।

इसमें जो सबसे बड़ा रोल अदा करता है वो है मीडिया खासकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया अब उदाहरण के तौर पर आप 4 दिन की पहली घटना ले लीजिए जो की अररिया में घटी, हुआ यूं की अररिया में लोकसभा का उपचुनाव का परिणाम आया जिसमे राजद के उम्मीदवार सरफ़राज़ आलम 1,30000 वोट से जीते, अररिया मुस्लिम बहुलक जगह हैं , जीत का जश्न चल रहा था,जशन के बीच से एक वीडियो सामने आया जिसमे दो लड़के को दिखाया गया जो भारत विरोधी नारे लगा रहे हैं। भारत तेरे टुकड़े होंगे , पाकिस्तान जिंदाबाद।



हालांकि अभी तक इस इस बात की पुष्टि कानूनी तौर पर नही हुई है की अररिया के नारे में बोला गया वाक्य उन्ही दो लड़कों के है, या अलग से वॉइस मिक्सिंग की गई हैं।नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने वीडियो की फॉरेन्सिक जांच की मांग की हैं।पर टीवी पर आरोप प्रत्यारोप का खेल राजनीतिक पार्टियों के बीच शुरू हो चुका हैं।गौरतलब हैं इस तरह के नारे पहले jnu में भी लगे हैं।मेरा इस लेख से तात्पर्य यह हैं की जब ये मामला इतना गंभीर हैं तो हर चैनल के हर शो पर इसको इतना फुटेज क्यों दिया जा रहा हैं ।बार -बार उसी चीज़ को दिखाना कही न कही नेगटिव प्रभाव तो छोड़ता ही हैं।

30 sec के वीडियो पर 3hr का शो एक ही वीडियो को बार बार दिखा कर कही न कही मीडिया भी इस चीज़ को बढ़ावा दे रही हैं। इस तरह के विवादित मामले को कम से कम फुटेज मिलना चाहिए था। औऱ जब पोलिस इस चीज़ की जांच कर रहीं है और उस लड़को को भी गिरफ्तार कर लिया तो न्यूज़ चैनलों को ये सब दिखाना बंद कर देना चाहिए था, सिर्फ trp के लिए जबरदस्ती कुछ से कुछ चला देना। और बात बात पर हिन्दू मुस्लिम का बहस छेड़ कर TRP बनाना टीवी चैंनलो का पसंदीदा विषय बना हुआ हैं।

जब दिल्ली में बैठ कर छात्र ssc scam का विरोध कर रहे थे तो वहां तक उन्हें पहुँचने में 5 दिन लगा।ओर एक छोटे से शहर में हुआ एक घटना आधा घंटा में इनके लिए ब्रेकिंग न्यूज़ बन गया।

और ये जो बयान आया हैं ये तो यहाँ अररिया का हैं ही नहीं ये तो वही वाक्य हैं, जो jnu में हुआ था उसी वाक्यो को यहाँ दोहराया गया हैं। और उस मामले को हवा किसने दी थीं इन्हीं न्यूज़ चैंनल ने ना। मैं ये बिल्कुल नही कह रहा की इस तरह के न्यूज़ को दिखाना नही चाहिये। मीडिया हमारे लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है।अच्छा बुरा सही गलत सब दिखाना काम है इसका, पर कोई भी असामाजिक तत्व जिससे मतभेद उत्पन हो सकता हैं उस सब न्यूज़ से परहेज करना चाहिए।

हो सकता था अगर मीडिया jnu के विवाद को इतना नहीं उछालती तो अररिया में इस तरह की घटना नहीं घटती।मीडिया ने jnu के घटना को TRPके चक्कर मे इतना ग्लेमराइज़ किया की jnu का एक स्टूडेंट या प्रसिडेंट जो कह लीजिए रातो रात स्टार बन गया।
मै यहाँ दोनो घटनाओं की तुलना बिल्कुल नही कर रहा हैं ।और दोनों में तुलना हो भी नही सकता हैं
क्योंकि एक भारत की सबसे बड़े यूनिवर्सिटी jnu की घटना है। जहाँ भारत के सबसे प्रतिभाशाली छात्रों का संगठन हैं।दूसरी ओर बिहार के एक छोटे से शहर अररिया की घटना.

मेरा तो बस इतना कहना है की हो सकता हैं ये उसका प्रतिबिम्ब (reflection)हो। पब्लिसिटी पाने के चक्कर में आनन फानन में दिया गया एक बयान आज यहाँ हुआ हो सकता हैं कल फिर कहीं और घट जाए।

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