मल्लिकार्जुन खड़गे को कांग्रेस की कमान। क्या कांग्रेस का नैया पार करा पाएंगे या तेजस्वी के तेज के सहारे ही चलयेगी कांग्रेस

मल्लिकार्जुन खड़गे को कांग्रेस की कमान। क्या कांग्रेस का नैया पार करा पाएंगे या तेजस्वी के तेज के सहारे ही चलयेगी कांग्रेस

कभी बिहार मे सालो राज करने वाली कांग्रेस पार्टी को बिहार मे अपने वजूद बचाने को गठबंधन का सहारा लेना पर रहा है। मज़बूरी मे राजद के साथ गठबंधन करने के कारण फिर पार्टी को फिर खड़ा करने के जगह कांग्रेस की सारी रणरीति राजद के साथ रहने मे सिमट कर जाती है।

कांग्रेस के नए अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की डगर बिहार मे कही से भी आसान नहीं है। अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के सामने बिहार मे कांग्रेस को फिर से खड़ा करने की चुनौती है और बिहार कांग्रेस मे पार्टी पर नियंत्रण कायम करने के साथ साथ पार्टी के अंदर जारी अंतरकलह को ख़तम करना है। और साथ ही साथ कांग्रेस पार्टी को 2024 मे होने वाला मुकाबला के लिए तैयार करने की भी है।

2010 में हुए विधानसभा चुनावों के बाद कांग्रेस महागठबंधन में शामिल हो गई। महागठबंधन में शामिल होने से पहले कांग्रेस ने सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ा था और मात्र 4 सीटें हीं उसके खाते में आई थी। अक्टूबर-नवंबर 2015 में हुए विधानसभा चुनावों में जदयू, राजद, कांग्रेस, जनता दल, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, इंडियन नेशनल लोक दल और समाजवादी जनता पार्टी (राष्ट्रीय) ने महागठबंधन बनाकर चुनाव लड़ा था। 

इन चुनावों में लालू यादव की राजद और नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जेडीयू ने 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ा था। कांग्रेस ने 41 और भाजपा ने 157 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। चुनाव के नतीजे आने पर राजद 80 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। इसके बाद जदयू को 71 सीटें और भाजपा को 53 सीटें मिली थीं। इन चुनावों में कांग्रेस को 27 सीटें मिली थीं। इन चुनाव में महागठबंधन की सरकार बनी और नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाया गया। हालांकि, 2017 में जेडीयू महागठबंधन से अलग हो गई और नीतीश कुमार ने भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाई।

बिहार में पहला विधानसभा चुनाव साल 1952 में हुआ था। संयुक्त बिहार की कुल 324 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस ने 239 सीटों पर जीत दर्ज की थी। कांग्रेस के मुख्यमंत्री के तौर पर डॉ. श्रीकृष्ण सिन्हा ने सत्ता की कमान संभाली थी। हालांकि, श्रीकृष्ण सिन्हा 1946 में अंतरिम सरकार के गठन के दौरान सत्ता की कमान अपने हाथ में रखी थी। दूसरा विधानसभा चुनाव 1957 में हुआ तो भी श्रीकृष्ण सिन्हा मुख्यमंत्री बने। जनवरी, 1961 में उनका निधन हो गया। इस तरह से बिहार के पहले और आखिरी कांग्रेस नेता हैं, जिन्होंने मुख्यमंत्री के तौर पर अपना कार्यकाल पूरा किया है। 

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