आज जॉर्ज साहब की जयंती है| आज उनके सम्मान में मुजफ्फरपुर में उनके मूर्ति का अनावरण भी होगा| मुजफ्फरपुर का जॉर्ज से नाता एक नेता होने से बढ़कर था| मुजफ्फरपुर वासियों ने उनको बिना देखे ही अपना सांसद चुन लिया था| वे अब इस दुनिया में नहीं है मगर आज भी उनके चर्चे मुजफ्फरपुर के चौक-चौराहे में होते हैं|
जॉर्ज फर्नांडिस आज इस दुनिया मे नहीं है। जॉर्ज वाजपेई सरकार के संकटमोचक कहे जाते थे। और वो उस वक्त देश के रक्षा मंत्री बने जब देश में परमाणु परीक्षण हुआ। जॉर्ज फर्नांडिस से जुडी कई ऐसी बातें हैं जो आप जानते होंगे जिनके बारे में आपने पढ़ा होगा लेकिन क्या आप जानते हैं कि वह अपने समर्थकों में इतने लोकप्रिय थे एक बार उन्हें किडनैप करने तक की साजिश रची गई।
1996 के लोक सभा चुनाव के वक्त की एक ऐसी कहानी आज हम आपको बताने जा रहे हैं जो अब तक आप नहीं जानते होंगे और इस कहानी से आपको जॉर्ज फर्नांडीज की लोकप्रियता का भी अंदाजा लग जाएगा। 96 के लोकसभा चुनाव के नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो गई थी तब वो मुजफ्फरपुर के सांसद थे लेकिन अचानक 2 अप्रैल को खबर आई कि जार्ज फर्नाडिस मुजफ्फरपुर के बजाय नालंदा से चुनाव लड़ेंगे दरअसल नीतीश कुमार चाहते थे कि उनके जार्ज फर्नांडीज नालंदा यानी उनके गृह जिले से ही चुनाव लड़े।
मुजफ्फरपुर के कार्यकर्ताओं को यह खबर मिली तो वह नाराज हो गए एक बस में सवार होकर 50 से ज्यादा कार्यकर्ता पटना पहुंचे जानकारी मिली कि जॉर्ज ने नालंदा से नामांकन दाखिल कर दिया है। और वह रात को शकुनी चौधरी के घर पर रुकने वाले हैं मुजफ्फरपुर के कार्यकर्ताओं से भरी बस शकुनी चौधरी के घर पहुंच गई कार्यकर्ता घर के बाहर नारे लगाने लगे रात करीब 10:00 बजे फर्नांडिस शकुनी चौधरी के साथ एम्बेस्टर में नालंदा से लौटे। जॉर्ज को जैसे ही पता चला कि यह मुजफ्फरपुर के वर्कर है और उन्हें साथ ले जाने आए हैं। जॉर्ज शकुनी चौधरी के बंगले के एक कमरे में जाकर सो गए कार्यकर्ताओं से कहा गया कि जॉर्ज थके हुए हैं। इसलिए नहीं मिलेंगे समर्थक मिलने और मिलकर ले जाने से कम पर तैयार नहीं थी।
रात करीब 12:00 बजे जॉर्ज कमरे से निकले और मुजफ्फरपुर के नेताओं से बात करने कि कोशिश की लेकिन नाराज कार्यकर्ताओं ने जॉर्ज को गोद मे उठा लिया और बस में ले जाने लगे। साधारण सा कुरता पहने जॉर्ज का कुर्ता भी इस मई फट गया था। जॉर्ज झल्ला गए। उन्होंने छोडने की गुहार लगाइये पर समर्थक उनको छोड़ को जाने को त्यार नहीं थे।
जॉर्ज ने कहा आप अपना नेता चुन लीजिए आप में से ही किसी को टिकट दे दूंगा लेकिन मुझे नालंदा जाने दीजिए जॉर्ज की इस अपील के बाद मुजफ्फरपुर से आए पार्टी के कुछ नेताओं ने बीच बचाव का रास्ता निकाला और जॉर्ज को भीड़ से निकालकर कमरे तक पहुंचाया गया। यह पूरा घटनाक्रम रात तक चला सहमति बनी कि मुजफ्फरपुर के ही कार्यकर्ताओं में से कोई एक चुनाव लड़ेगा और जॉर्ज की गैरमौजूदगी में आठ लोगों ने समता पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर मुजफ्फरपुर से नामांकन भरा।
जॉर्ज मुजफ्फरपुर से गए तो पार्टी यह सीट हार गए। बाद मे साल 2004 लोक सभा चुनाव मे जॉर्ज फर्नांडिस फिर से वापस मुजफ्फरपुर लौट गए। आठ साल बाद मुजफ्फरपुर लौटे जॉर्ज फर्नांडिस चुनाव जीत गए। उनका बिहार के साथ रिश्ता, प्यार, विश्वास और संघर्ष से था | आज उनके जयंती पर उनको नमन!