मिथिलांचल न्यूज़ :-मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ विपक्ष के महाभियोग प्रस्ताव के नोटिस को उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने खारिज कर दिया। इस संबंध में राज्यसभा सभापति एम. वेंकैया नायडू ने कुछ संविधान विशेषज्ञों से चर्चा व सलाह मशविरा के बाद ये निर्णय लिया।
कांग्रेस के इस नोटिस में जितने सांसदों के हस्ताक्षर थे उसमें से 7 सांसद रिटायर हो चुके हैं और इसी को आधार बनाते हुए उपराष्ट्रपति ने इस प्रस्ताव को खारिज किया है। साथ ही उपराष्ट्रपति ने इस प्रस्ताव को राजनीति से प्रेरित भी बताया है।
सभापति के नोटिस अस्वीकार करने के आदेश को कांग्रेस यदि सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देती है, तो उस पर सुनवाई करने वाली पीठ सीजेआई ही तय करेंगे, क्योंकि चीफ जस्टिस ही मास्टर आफ रोस्टर होते हैं।
इन आधारों पर लाया गया था महाभियोग
कांग्रेस पार्टी ने महाभियोग प्रस्ताव लाने के पीछे 5 कारण बताए थे। कपिल सिब्बल ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि न्यायपालिका और लोकंतत्र की रक्षा के लिए ये जरूरी था।
1. मुख्य न्यायाधीश के पद के अनुरुप आचरण ना होना, प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट में फायदा उठाने का आरोप।इसमें मुख्य न्यायाधीश का नाम आने के बाद जांच की जरूरत।
2. प्रसाद ऐजुकेशन ट्रस्ट का सामना जब मुख्य न्यायाधीश के सामने आया तो उन्होंने न्यायिक और प्रशासनिक प्रक्रिया को किनारे किया।
3. बैक डेटिंग का आरोप।
4. जमीन का अधिग्रहण करना, फर्जी शपथ पत्र लगाना और सुप्रीम कोर्ट जज बनने के बाद 2013 में जमीन को सरेंडर करना।
5. कई संवेदनशील मामलों को चुनिंदा बेंच को देना।